गर्भाशय में रसौली / फायब्रॉइड्स के कारण, लक्षण और इलाज

गर्भाशय में रसौली ज्यादातर 30 से 50 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं में पाई जाने वाला एक नॉन-कैंसर ट्यूमर (non-cancerous tumor)है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों में गांठे बनने से महिला को रसौली की समस्या आती है। इसे डॉक्टरी भाषा में मायोमा या लेयोमायोमा भी कहा जाता है। रोगी नॉन-कैंसर ट्यूमर का नाम सुनकर अक्सर घबरा जाते है की उन्हें कैंसर तो नहीं हो गया। इसपर डॉक्टर या विशेष्यज्ञों का कहते है की रसौली कैंसर नहीं है। लेकिन इसको काफी समय तक अनदेखा किया जाए तो यह कैंसर की रूप ले सकता है। इसलिए हमे समय रहते ही गर्भाशय की रसौली का इलजा करवा लेना चाहिए।

uterus fibroids

गर्भाशय में रसौली किस किस स्थान में हो सकती है / रसौली के प्रकार ?

गर्भाशय रसौली में हम निचे दिए गए पर्तो के अनुसार जानते है जैसे

  • सबसेरोसल फाइब्रॉइड्स (Subserosal fibroids) : यदि रसौली गर्भाशय की अंदरुनी पर्त अथवा अंदरूनी भाग में होती है तो उसे सबसेरोसल फाइब्रॉइड्स कहते है।
  • इंट्राम्युरल फाइब्रॉइड्स (Intramural fibroids) : यदि रसौली गर्भाशय की मध्यम में होती है तो उसे इंट्राम्युरल फाइब्रॉइड्स (Intramural fibroids) क]हते है।
  • सर्वाइकल फाइब्रॉइड्स (Cervical fibroids) : यदि रसौली गर्भाशय की बहार की ओर होती है तो उसे सर्वाइकल फाइब्रॉइड्स (Cervical fibroids) कहते है यह रसौली अक्सर बाँझपन में दिकत लाती है। अतः जिनको बाँझपन की समस्या है उनको जल्दी से सर्वाइकल फाइब्रॉइड्स रसौली का इलाज करवा लेना है।
  • सबम्यूकोसल फाइब्रॉइड्स (Submucosal fibroids) : ये फाइब्रॉएड गर्भाशय के अस्तर के नीचे उपस्थित होते हैं।
  • पेडन्क्युलेट फाइब्रॉइड्स (Pedunculate fibroids) : यह रसौली गर्भाशय की दीवार के बाहर स्थित होते हैं।

गर्भाशय में रसौली के लक्षण

रसौली अधिकतर समय (70%) asymptotic रहती है। जिसका अर्थ है यह रोगी एंव महिला को ज्यादा दर्द और तकलीफ नहीं देती है। रसौली कुछ (30%) समय symptomatic रहती है। जिसमे कुछ इस तरह के लक्षण देखने को मिलते है जो कि निम्नलिखित है।

  • मल त्यागने पर बहुत अधिक पीड़ा होना।
  • कभी कभी ब्लीडिंग होना भी इसका एक लक्षण हो सकता है।
  • uterine line के आसपास के क्षेत्र में गांठ बनना जिससे की असहनीय दर्द पैदा होता है।
  • pelvic में दर्द होना।

गर्भाशय में रसौली के कारण

आमतौर पर तो यह पाया गया है की गर्भाशय में रसौली के कारण कोई निश्चित नहीं हैं। लेकिन इसके होने के कुछ सामान्य कारण निचे दिए गए हैं।

  • यह पाया गया हैं की जेनेटिक्स (genetics) भी गर्भाशय में रसौली के कारण हो सकते हैं यानि अगर आपके परिवार में किसी यह बीमारी हुई हो तो यह आपको होने का खतरा भी हो सकता है।
  • कई बार यह भी पाया गया है की हार्मोन के बदलाव होने पर भी इसका खतरा पैदा हो सकता है।
  • गर्भावस्था, बुढ़ापा या मोटापा भी गर्भाशय में रसौली के कारण हो सकते है।

गर्भाशय में रसौली का इलाज

स्टार अस्पताल आपको गर्भाशय में रसौली का इलाज प्रदान कर रहा है। यहाँ आपको डॉ मनदीप कौर द्वारा गर्भाशय में फायब्रॉइड्स का सफल इलाज प्राप्त हो रहा है। जहा कई लोगो ने अपना इलाज करवा के गर्भाशय में रसौली के छुटकारा पाया है। वैसे तो डॉ द्वारा यह बताया जाता है की हर तरह की रसोली के इलाज की जरुरत नहीं होती। सिर्फ कुछ प्रकार की रसोली के इलाज की ही जरूरत होती है जिसे स्कैनिंग द्वारा निश्चित किया जाता है।

अगर आप भी दिए गए लक्षणों को महसूस कर रहे हो तो आपको इसकी तुरंत जाँच करवा लेनी चाहिए। इसके लिए आपको सबसे पहले स्कैनिंग करवा लेनी चाहिए जिससे की यह निश्चित होगा की कितने रसोली हैं और कहा पर है। रसोली के इलाज के लिए दूरबीन वाली सर्जरी अर्थात laproscopic सर्जरी को सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। जिससे की इसका इलाज सफलतापूर्ण और सरलता से हो जाता है स्टार अस्पताल में डॉ मनदीप कौर द्वारा यह सर्जरी प्रदान की जाती है और इससे कई लोगों ने गर्भाशय में रसौली से मुक्ति पायी है।