सरोगेसी क्या है?, कारण, प्रकार, सरोगेसी बिल 2019

सरोगेसी (Surrogacy ) को किराए की कोख भी कहा जाता है , उन महिलाओं के लिए एक विकल्प हो सकता है जो गर्भवती नहीं हो सकतीं या फिर अपने बच्चे को पैदा करने के लिए असमर्थ हैं। यह उनके लिए बच्चे पैदा करने का एक तरीका है जो वे स्वाभाविक रूप से माँ नहीं बन पा सकती हैं। यह उन महिलाओं के लिए बहुत मददगार हो सकता है जिन्हें गर्भधारण करने में समस्या होती है, जैसे गर्भपात या उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था। सरोगेसी को आम भाषा में किराए की कोख इसलिए कहा जाता है जब कोई जोड़ा बच्चा पैदा करने के लिए किसी दूसरी महिला की कोख किराए पर लेता है। इस प्रक्रिया को सरोगेसी कहा जाता है जब एक महिला अपने अंडे के माध्यम से दूसरे जोड़े के लिए गर्भवती हो जाती है। एक महिला जो दूसरे के बच्चे को अपने गर्भ में रखती है उसे सरोगेट मदर के रूप में जाना जाता है।

सरोगेसी के नए क्या कानून बने हैं. सरकार को सरोगेसी के कानून बनाने जरूरत क्यों महसूस हुई ?

जैसे की हम सब जानते है Surrogacy सरोगेसी पर एक नया एक्ट बना है जो ICMR गाइडलाइंस फॉलो कर रहे द उसका बिल पास हो गया है और एक सरोगेसी एक्ट बन बन गया हैँ इंडिया में सरोगेसी बहुत जयदा हो रही थी अंतरराष्ट्रीय लोग भी इंडिया में आकर सरोगेसी करवा रहे थे और कुछ महिलाएं ने इसे रोजगार का साधन मान कर कर रही थी यह पक्का टिकाऊ रोजगार का साधन नहीं है रोगेसी केवल एक मदद के तौर पर की जा सकती है मगर सरोगेसी को रोजगार का साधन नहीं बनाया जा सकता फिर जिन सेंटर्स में सरोगेसी बहुत ज्यादा हो रही थी वहां पे जो अंतरराष्ट्रीय लोग बाहर से आते थे कुछ महिलाएं सरोगेसी के बाद बचे को स्तनपान करने के भी पैसा लेती थी. सरोगेसी एक जीवन के लिए खतरनाक स्थितियां (life threatening conditions) है इसमें लेडी की जान को खतरा हो सकता है, चाहे अपना बच्चा हम खुद बनाते हैं मगर दूसरे के लिए बच्चा बनाना हो तो अपनी जान को खतरा डालना कोई बहुत समझदारी की बात नहीं है. धीरे-धीरे कुछ साल पहले सरकार ने अंतरराष्ट्रीय व्यक्तियों के लिए सरोगेसी बंद करवा दी इसका मुख्य कारण बहुत सारे समलैंगिक लेसबैं और दूसरे टाइप के कपल्स भी इंडिया से सरोगेसी करवा के अपना बच्चा ले जाते थे, परन्तु इंडियन राष्ट्रीय सरोगेसी कर सकता हैअब सरकार ने सरोगेसी को एक बार ही रोक दिया क्योंकि सरकार तय किया की वह सरोगेसी का एक बोर्ड बनाएंगे एक नेशनल बोर्ड होगा एक स्टेट बोर्ड होगा और डिस्ट्रिक्ट लेवल पे भी कुछ लोग होंगे अब कोई भी पेशेंट सरोगेसी करवानी चाहता है तो सबसे पहले उसकी एक फाइल बनेगी और वो फाइल बोर्ड के सामने पेश होगी और बोर्ड तय करेगा कि ये पेशेंट सरोगेसी के लिए फिट है या नहीं है इसकी सरोगेसी होनी चाहिए इसकी सरोगेसी जायज है नहीं

सरोगेसी कितने प्रकार की होती है?

सरोगेसी को मुख्यत दो भागो में बांटा गया है – ट्रेडिशनल सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी।

ट्रेडिशनल सरोगेसी :

जब एक पिता के शुक्राणु को दूसरी महिला के अंडे के साथ निषेचित किया जाता है। इसका अर्थ है कि पिता के साथ बच्चे का अनुवांशिक संबंध केवल आंशिक होता है।

जेस्टेशनल सरोगेसी :

जेस्टेशनल सरोगेसी में परखनली प्रक्रिया यानि आई वी एफ के ज़रिए माता- पिता के अंडे व शुक्राणुओं को लेकर भ्रूण तैयार किया जाता है । जिसको फिर सरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है । इस प्रक्रिया में बच्चे का जैनेटिक संबंध माता- पिता दोनों से होता है । इस प्रकार की सरोगेसी प्रक्रिया में सरोगेट माँ का बच्चे के साथ कोई भी आनुवंशिक संबंध नहीं होता है ।

सरोगेसी बिल 2019

सरोगेसी का दुरूपयोग रोकने के लिए सरोगेसी (रेगुलेशन) बिल 2019 पास करने का प्रस्ताव रखा गया है।

लोकसभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के द्वारा इस बिल को पेश किया गया था। इस बिल में नेशनल सरोगेसी बोर्ड, स्टेट सरोगेसी बोर्ड के गठन की बात है। वहीं सरोगेसी की निगरानी करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति करने का भी प्रावधान है।

2016 में सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकने के लिए इस बिल को लाया गया था। मगर अब इसके नए प्रारूप को सरोगेसी रेगुलेशन बिल 2019 नाम से पेश किया गया है।

सरोगेसी की अनुमति सिर्फ संतानहीन विवाहित दंपतियों को ही मिलेगी। साथ ही सरोगेसी की सुविधा का इस्तेमाल लेने के लिए कई शर्तें पूरी करनी होंगी। जैसे जो महिला सरोगेट मदर बनने के लिए तैयार होगी, उसकी सेहत और सुरक्षा का ध्यान सरोगेसी की सुविधा लेने वाले को रखना होगा।