आईवीएफ क्या है

आईवीएफ क्या है


हिंदी में आई वी एफ को भ्रूण प्रत्यारोपण कहा जाता है | जिसे पहले टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता था | आईवीएफ बांझपन से पीड़ित जोड़ों के लिए एक वरदान साबित हुआ है | आईवीएफ के द्वारा काफी निःसंतान जोड़ों को अपनी संतान पाने का सुख प्राप्त हुआ है |


इसके उपचार में महिला के अंडो को पुरुष के शुक्राणुओं के साथ एक लैब में रख दिया जाता है और इनके संयोजन से एक भ्रूण (एम्ब्र्यो) बन जाता है और इस तैयार भ्रूण को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है | हालाँकि यह प्रक्रिया काफी महंगी होती है किन्तु यह प्रक्रिया उन लोगों या जोड़ों के लिए वरदान है जो कई सालों से गर्भधारण की कोशिश कर रहे हैं और असफल रहे हैं | आईवीएफ एक लम्बी और सरल प्रक्रिया है | आईवीएफ के एक साइकिल को पूरा होने में दो सप्ताह या उससे भी अधिक समय लग सकता है | और इस प्रक्रिया के दौरान काफी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है |

आई वी एफ की प्रक्रिया (IVF Process )

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) बाँझपन के इलाज़ में एक महत्वपूर्ण किरदार निभाता है जिसमें कई प्रक्रियाएँ शामिल हैं | आईवीएफ के उपचार की मदद से महिलाएँ गर्भवती होती है | इस प्रक्रिया में महिला के ओवरी से मच्योर अण्डों को निकाला जाता है और एक लैब में पुरुष के स्पर्म के साथ उर्वरित किये जाते हैं | उर्वरित हुए अण्डों में से सबसे बढ़िया अण्डों को महिला के गर्भ में दाल दिया जाता है | कई बार इस प्रक्रिया को करने में बहुत अधिक टाइम लग जाता है | आईवीएफ की तकनीक को उस वक्त किया जाता है जब महिला प्राकृतिक तरीकों से माँ बनने में सफल ना हो | इस प्रक्रिया के सफल होने की एक निर्धारित उम्र निश्चित होती है और उसी उम्र तक यह टेस्ट किया जा सकता है | अगर हम समय की बात करें तो इस प्रक्रिया के एक साइकिल में 6-7 हफ्ते लग जाते हैं | अगर इस प्रक्रिया के दौरान महिला की सेहत खराब होती है तो यह टेस्ट लंबा जा सकता है | यह प्रक्रिया अगर असफल हो जाती है तो इसे दुबारा से किया जा सकता है जिसमें निश्चय अधिक समाये लगता है | अगर हम महिला की आयु की बात करें को, अगर महिला के खुद के अंडे हैं तो आई वी ऐफ ट्रीटमेंट प्राप्त करने की औसत उम्र 36 साल हैं , और अगर दूसरों के अण्डों के उपयोग से आईवीएफ ट्रीटमेंट की औसत आयु 41 साल है |

आई वी एफ का उपचार ( IVF Treatment )


आईवीएफ के उपचार के लिए नीचे लिखे गए स्टेप्स पर ध्यान दें.|

शुरुआती टेस्ट्स : सबसे पहले महिला और पुरुष के कुछ टेस्ट किये जाते हैं| इसमें महिला क खून की जाँच और अल्ट्रासाउंड की जाती है और पुरुष क शुक्राणुओं की जाँच की जाती है

ज्यादा मात्रा में अण्डों का बनना : ज्यादा से ज्यादा भ्रूण बनाने क लिए हमे ज्यादा से ज्यादा अण्डों की जरूरत होती है | महिला के पीरियड्स के दूसरे दिन से जाँच शुरू होती है | उस महिला को 10-15 दिन तक इंजेक्शंस दिए जाते है और फिर हर 4-5दिन क बाद अल्ट्रासाउंड टेस्ट से पता चलता है क अंडे ठीक से बन रहे है या नहीं | जब अंडे एक निश्चिन्त आकर ले लेते है तो एक आखिरी इंजेक्शन जिसे ट्रिगर इंजेक्शन कहते है दे दिया जाता है | तब 34-36 घंटे बाद अंडे को महिला क शरीर से निकल लिया जाता है |

अण्डों का निकालना : इसके बाद महिला को बेहोश कर क एक सुई की मदद से अंडाशय से अण्डों को बाहर निकाल लिया जाता है | यह परिक्रिया 30 मिनट की होती है और 2-3 घंटों तक महिला को घर भेज दिया जाता है | कुछ महिलाओं को इसके बाद दर्द शुरू होता है जो के नार्मल बात है | उसके पश्चात पुरुष के शुक्राणुओं का सैंपल लिया जाता है |

फर्टिलाइजेशन : इस में महिला के एक अंडे और पुरुष के एक शुक्राणु का मिलन करवाया जाता है | कई बार हर अंडे के अंदर एक इंजेक्शन क द्वारा शुक्राणुओं को डाला जाता है | इस प्रक्रिया को ICSI (intracytoplasmic sperm injection) कहते है | ICSI की प्रक्रिया के बाद फर्टीलिएज़ किये हुए अण्डों से भ्रूण बनते है | इस भ्रूण को IVF लैब में 3 से 5 दिन के लिए रखा जाता है , इसके पश्चात अल्ट्रासाउंड तकनीक से लगातार यह देखा जाता है बच्चेदानी की लाइनिंग ठीक करा से बन रहीहै या नहीं | अगर लाइनिंग अच्छे से बन रही है तो भ्रूण को ट्रांसफर कर दिया जाता है और अगर लाइनिंग अच्छे से नहीं बन रही तो भ्रूण को फ्रीज करने की सलाह दी जाती है |

भ्रूण ट्रांसफर : यह एक सरल प्रक्रिया है | तकरीबन 5 दिन बाद सबसे अच्छे भ्रूण को महिला क गर्भ में एक पतली नली की मदद से ट्रांसफर करा जाता है | इस प्रक्रिया को केवल 15 मिनट लगते है और इस प्रक्रिया में महिला को बेहोश करने की भी जरूरत नहीं पड़ती है | बाकी बचे हुए भ्रूण को या तो फ्रीज कर दिया जाता है या तो नष्ट कर दिया जाता है | और महिला को डिस्चार्ज कर दिया जाता है |


नोट: यह पूरी प्रक्रिया के बाद महिला को 15 दिनों तक दवाएँ लेनी पड़ती है और अगर दवाएँ लेने के बाद महीना प्रेग्नेंट होती है तो आई वी ऐफ क इलाज को सफल माना जाता है |